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बचना – — , लो मैं आ गया |

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जागरण जंक्सन के सभी सदस्यों को मेरा  सादर  प्रणाम |  लम्बे समय तक इस मंच  से दूर रहकर  बहुत ही अकेलापन महसूस किया है मैंने | कुछ अधूरा सा , छूटा हुआ महसूस किया है |
                                          पिछले कुछ महीनो से अपने घर ( लखनऊ ) से तकरीबन ५०० किमी. दूर देश की राजधानी ‘दिल्ली’ में रह रहा हूँ | घर , घरवालों , दोस्तों , प्रियजनों साथ ही इस मंच के साथियों की कमी बहुत ही खली है , खलती है |
दिल्ली , देश की राजधानी कहना जितना ही सरल , वास्तव में ‘दिल्ली’ उतनी ही जटिल | यहाँ मनुष्य दौड़ते हैं और गाड़ियां रेंग-२ कर चलती हैं | किसी भी एक  चाहे पुरुष हो या महिला को ‘चलते’ हुए देखने के लिए तरस गया हूँ मैं , अब मुझे भी यहाँ दौड़ना ही पड़ता है | यहाँ सब कुछ , सभी
कुछ Estimated है , वाह री दिल्ली !
                                         बहन?? जैसी गाली तकियाकलाम है यहाँ के लोगों का जो बड़ी ही खुसूसियत से दी जाती है दिल्ली के ‘दिलवालों’ द्वारा | महज ५०० किमी से भी कम दूरी पर इतना फर्क महसूस किया है कि यहाँ ‘चौराहे’ – गोल चक्कर और लाल बत्ती , दायाँ और बायाँ – सीधे और उलटे आदि – २ में तब्दील हो गए हैं |
                                         रहने कि जगह कि किल्लत तो ऐसी है कि पूछिए मत | जितनी जगह का प्रयोग हम अपने घर में नित्य क्रियाओं के लिए बने साधन में करते थे उतनी जगह में तो यहाँ एक आदमी अपनी जीविका के साथ गुजर बसर कर रहा है | मैंने कभी पढ़ा था कि दिल्ली में १ वर्ग किमी में औसतन ९-१० हजार लोग रहते हैं जो कि देश का सबसे अधिक जन घनत्व  वाला केंद्र-शासित प्रदेश  है | वास्तविकता तो मुझे इन आकड़ों से भी अधिक लगती है | इसका एक कारण यह भी हो सकता है दिल्ली में “बाहरियों” (सिर्फ “बिहारियों” मत समझ लीजियेगा ) कि आमद बेहिसाब है , जैसे कि मैं ‘यूपीवाला’ , पर इसका यह मतलब नहीं कि सब कुछ असंतुलित या अनियंत्रित हो जाए | जब मूल आवश्यकताओं कि वस्तुओं कि कीमत आसमान छू रही हों तो आप ही बताएं कि आदमी खायेगा क्या  – रोटी या कॉल रेट , इलेक्ट्रोनिक उपकरण आदि जो कि दिल्ली में बेहद ही सस्ते हैं |
                                                  बस , अभी फिलहाल इतना ही | समय का अभाव है , दिमाग पंक्चर हुए टायर कि तरह हो गया है | आशीर्वाद और दुआएं दीजिये कि दिल्ली में थोडा और अधिक समय तक टिक सकूं |
                                                  धन्यवाद , फिर आता हूँ लौट के |
                                                                       

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